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Ganna Parchi calendar 2020 APK

Последняя версия 2.0 для Windows
Обновлено 12 December 2023 г.

Информация

Версия 2.0 (#2)

Обновлено 12 December 2023 г.

Размер APK 10.5 MB

Требуемая версия Android Android 4.1+ (Jelly Bean)

Продавец Gamer Buddy Apps Team

Категории Бесплатные Работа Приложения

Приложения id com.gannaparchi.calender

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Описание

यूपी गन्ना किसान पर्ची कलेंडर व अपने सट्टे से सारी веб-портал या Загрузка приложения e-Ganna करके मोबाइल के जरिए कर सकता है। मोबाइल पर किसान पर्चियों अलावा पिछले सालों के गन्ना सप्लाई जानकारी भी सकते है।इससे किसानों को कोई काम होने पर गन्ना विभाग या शुगर फैक्टरी के नहीं काटने होंगे। Online UP Ganna Kisan Parchi Calendar 2020 портал गन्ना भुगतान 2020-My Kisan
हमारी जनसँख्या एक अरब पहुँचने में कई सौ साल लगे .. और करीब 200 साल में हमारी जनसँख्या 7.5 अरब के पार पहुँच गई. कई ученые की माने तो हमारे पास सिर्फ 2 अरब लोगों के выживание के लिए доступные ресурсы हैं. यानी हमें अपने ресурсы और производство продуктов питания को सावधानी से использование करने की जरूरत है ताकि हम अतिरिक्त 5.5 अरब लोगों की आवश्यकताएं पूरी कर सकें.!

लोगों की खान-पान की जरूरतों को पूरा करने के сельское хозяйство के नए-नए तरीके अपनाए गए..ज्यादा उपज के लिए удобрения और пестициды के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया. वहीँ दूध और अन्डो की मांग बढ़ने से को оттенки में रखने की शुरुआत की गई. और जरूरत पड़ने पे उन्हें मांस के लिए बाजार पहुँचाया जाने लगा.!

आज के समय में органическое сельское хозяйство दुनिया भर की मात्र 1% сельскохозяйственных земель में की जा रही है. ये метод устойчивого земледелия तो है ही साथ ही традиционное земледелие की अपेक्षा ज्यादा экологически безопасное है.! изменение климата से निपटने के लिए сельское хозяйство के इस метод का इस्तेमाल किया जा रहा है.

लेकिन दुःख की बात ये है कि изменение климата органическое сельское хозяйство का комплексное решение नहीं है..और इसीलिए इसपे बहस अभी भी जारी है. теоретически органическое земледелие में химические удобрения, гербициды, пестициды या किसी भी तरह добавки का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इन सबके बजाय किसानों को दूसरे естественные альтернативы का इस्तेमाल करना चाहिए. !

गन्ने का इतिहास

गन्ने का मूल स्थान भारतवर्ष है। पौराणिक कथाओं तथा भारत के प्राचीन ग्रन्थों में गन्ना व इससे तैयार जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख पाया जाता है। विश्व के मध्य पूर्वी देशों सहित अनेक स्थानों में भारत से उपयोगी पौधे को ले गया। प्राचीन काल से गन्ना भारत में गुड़ तथा राब बनाने के आता था।

उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में जावा, हवाई, आस्ट्रेलिया आदि देशों सफ़ेद दानेदार चीनी का उद्योग सफलतापूर्वक चल था, भारतवर्ष में नील का व्यवसाय उन्नति पर था जो जर्मनी में रंग बनाने की नई तकनीक पर मन्द पड़ गया।

इस परिस्थिति का लाभ भारत में चीनी उद्योग की स्थापना को मिला। सन् 1920 में भारत के तत्कालीन गर्वनर की उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए इण्डियन शुगर स्थापना की थी। वर्ष 1930 की गन्ना उप समिति पर एक 'टैरिफ बोर्ड' की स्थापना की जिसने भारत सरकार से चीनी उद्योग को आरम्भ में 15 वर्षों के लिये संरक्षण देने की की, फलत: भारत में सन् 1931 में चीनी उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।

उत्तर प्रदेश में यद्यपि देवरिया के प्रतापपुर नामक स्थान पर 1903 में ही भारत की प्रथम प्राचीनत् चीनी मिल स्थापित थी परन्तु गन्ना क्रय-विक्रय की कोई संस्थापित के अभाव में गन्ना किसानों को अनेकों कठिनाईयॉं होती थीं। भारत सरकार द्वारा पारित शुगर केन एक्ट 1934 द्वारा प्रदेशीय सरकारों को किसी क्षेत्र को नियंत्रित करते हुये वैक्यूम पैन मिलों द्वारा प्रयुक्त होने वाले मूल्य निर्धारित करने करने के लिये अधिकृत किया गया।

उत्तर प्रदेश में सन् 1935 गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। सरकार ने गन्ना कृषकों की मदद की दृष्टि से ’शुगर फैक्ट्रीज़ कन्ट्रोल एक्ट 1938’ लागू किया। वर्ष 1953-54 में इसके स्थान ’उ 0 प्र 0 गन्ना पूर्ति एवं खरीद विनियमन अधिनियम 1953’ लागू हुआ।

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