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Summary of RigVeda SamVeda YajurVeda AtharvaVeda APK

Ultima versione 1.0 per Windows
Aggiornata 30 January 2023

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Versione 1.0 (#1)

Aggiornata 30 January 2023

Dimensioni APK 3.7 MB

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Categoria Applicazione Libri e consultazione Gratuiti

Applicazione id appinventor.ai_rkgets.ShortDescriptionFourVeds

Note di sviluppatore Breve descrizione su 1 Rig Veda 2 Samveda Yajurveda 4 Atharva Veda in hindi

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Descrizione

वेदों के विषय में संक्षिप्त विवरण
वेद सनातन धर्म के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं. यहीं नहीं, ये विश्व के सबसे पुरानी कृतियाँ हैं. इन्हें संसार का आदिग्रंथ कहा जा सकता है. इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, मैं आपको बताना चाहूँगा कि वेद शब्द का अर्थ "ज्ञान" होता है. मूलतः वेद एक ही था. कालांतर में व्यास के द्वारा चार भागों में बाँटा गया. ये भाग अर्थात् संहिताएँ हैं - ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद (Rigveda, Samveda, Yajurveda e Atharvaveda - quattro vedas). इनरे प्रधान विषय क्रमशः प्राथना-मन्त्र, ऋचा-गायन, यज्ञ-मन्त्र और औषधीय ज्ञान हैं. वेदों का काल निश्चित नहीं है. इन्हें अपौरुषेय बताया गया है थर्थात् ये मानव रचित नहीं हैं, ऐसा माना जाता है. परन्तु कई ऋचाओं के रचनाकार ऋषियों के नाम ऋचाओं में मिलते हैं. इनमें पुरुष और स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित हैं. अतः वेदों के रचनाकार का निर्धारण एक कठिन कार्य है. कुछ लोगन्हें ईशा के 6000 वर्ष पूर्व के मानते हैं और कुछ इनका रचनाकाल 1500 ई.पू. बतलाते हैं. प्रत्येक वेद के अपने-अपने ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा उपवेद (Brahman, Aranyak, Upnishada e Upveda) हैं. इनका वर्णन नीचे द्रष्टव्य है -
ऋग्वेद (RIG VEDA)
चार वेदों में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है. ऋग्वेद शब्द ऋक् (ऋचा अथवा मन्त्र) तथा वेद (विद् अर्थात् ज्ञान) से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ज्ञान के सूक्त. ऋग्वेद (Rig veda) की संहिता (testo) में 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10, 580 ऋचाएँ हैं. ऋग्वेद के अनेक मन्त्र यज्ञ से सम्बंधित हैं परन्तु उसमें कुछ ऐसे मन्त्र भी मिलते हैं जिन्हें आदिकालीन धार्मिक कविता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण कहा जा सकता है. ऋग्वेद (Rig Veda) का रचनाकाल चाहे जो भी निर्धारित हो, इतना निश्चयपूर्ण कहा जा सकता है कि ऋग्वेद में भारतीय आर्यों के प्राचीनतम युग का इतिहास और उस युग की धार्मिक, सामजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अवस्था का ज्ञान प्राप्त होता है.
i) ब्राह्मण - ऐतरेय ब्राह्मण और कौशीतकी ब्राह्मण
ii) आरण्यक - ऐतरेय आरण्यक, कौशीतकी
iii) उपनिषद् - ऐतरेय उपनिषद्
iv) उपवेद - आयुर्वेद
ऋग्वेद के विषय में किक जानकारी के लिए, यह लिंक खोल कर रखें >> Argomenti importanti su Rigveda
सामवेद (SAMVEDA)
वेदस वेद में कुल 1549 ऋचाएँ हैं जिनमें से 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद संहिता (Rigved Samhita) से ली गई हैं. सामवेद (Samveda) की ऋचाओं का गान विविध वैदिक यज्ञों के अवसर पर होता था. सामवेद (Samveda) को संगीत-शास्त्र का आदि ग्रन्थ माना जाता है.
i) ब्राह्मण: - पंचविश ब्राह्मण, जैमिनीय ब्राह्मण और सद्विंश ब्राह्मण
ii) आरण्यक: - तवलकर, छान्दोग्य
iii) उपनिषद्: - छान्दोग्य, जैमिनीय और केन उपनिषद्
iv) उपवेद: - गन्धर्ववेद
यजुर्वेद (YAJURVEDA)
यजुर्वेद (Yajurveda) की दो शाखाएँ हैं - कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद. कृष्ण यजुर्वेद दक्षिण भारत और शुक्ल यजुर्वेद उत्तर भारत में प्रचलित है. यजुर्वेद (Yajurveda) में 18 काण्ड हैं. यजुर्वेद में 3988 मन्त्र हैं. गायत्री मन्त्र और महामृत्युंजय मन्त्र यजुर्वेद में ही हैं. यजुर्वेद (Yajurveda) का प्रधान विषय यज्ञ कार्य है.
i) ब्राह्मण - तैत्तिरीय ब्राह्मण
ii) आरण्यक - वृहदारण्यक, तैत्तिरीय और मैत्रायणी
iii) उपनिषद् - मुण्डक उपनिषद्, ईशावास्योपनिषद्, माण्डुक्य उपनिषद् और प्रश्न उपनिषद्
iv) उपवेद: - धनुर्वेद
अथर्ववेद (ATHARVA VEDA)
अथर्वेद में 20 अध्याय और 5687 मन्त्र हैं. अथर्ववेद (Atharvaveda) के 8 खंड हैं. अथर्वेद गद्य-पद्य-मिश्रित है. इसमें औषाधियों, जादू-टोनों आदि विषय हैं. कुछ विद्वानों के अनुसार इस वेद के कई अंश ऋग्वेद (Rig veda) से प्राचीनतर हैं.
i) ब्राह्मण - गोपथ र्राह्मण
ii) आरण्यक - इसका कोई स्वतंत्र आरण्यक नहीं है. यजुर्वेद के आरण्यक के कुछ अंश अथर्ववेद (Atharvaveda) के आरण्यक के रूप में जाने जाते हैं.
iii) उपनिषद् - इसका कोई स्वतंत्र उपनिषद् भी नहीं है. यजुर्वेद (Yajurveda) के उपनिषद् के कुछ अंश अथर्ववेद (Atharvaveda) के उपनिषद् के रूप में जाने जाते हैं.
iv) उपवेद: - स्थापत्यवेद

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